यूनान में देल्फी के मन्दिर में एक अतीन्द्रिय क्षमता जाग्रत देवी घोषणाएँ करती और लोग विशेष अवसरों पर अपने व समाज के भविष्य की बातें पूछते। किसी ने भीड़ में से पूछ लिया कि ‘इस समय यूनान के सबसे बुद्धिमान ज्ञानी पुरुष कौन हैं’।
देवी ने घोषणा की ‘सुकरात’। यह सुनकर लोग सुकरात के पास गये और बोले कि देवी ने ऐसी घोषणा की है। सुकरात ने कहा-गलत मैं तो अज्ञानी हूँ, वैसे ज्ञान प्राप्त करने की मेरी जिज्ञासा अवश्य है।’
यह सुनकर लोग फिर देवी के पास गये और बोले कि ‘सुकरात को आपने यूनान का सबसे ज्ञानी पुरुष बतलाया था। यह तो इंकार करता है और कहता है कि वह तो अज्ञानी है। देवी ने कहा ‘बस! इसीलिए तो सबसे बड़ा ज्ञानी है कि ज्ञानवान होते हुए भी उसे अपने ज्ञान का अहंकार नहीं है।’