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March 1988

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परमात्मा ने केवल एक तन्त्र नहीं बनाया है जो अपनी एक विधि और एक रीति से अपना काम करता चले, न उसके काम में कोई बाधा आये और न कोई असफलता मिले।

मनुष्य को परमात्मा ने एक स्वतंत्र बुद्धि वाला चेतन प्राणी बनाया है। उसे हाथ-पाँव काम करने के लिए और विवेक काम के औचित्य-अनौचित्य समझने के लिए दिया है। उसकी इच्छा है कि मनुष्य अधिक से अधिक परिश्रमी, कर्मठ और धैर्यवान बनें, इसीलिए उसके सभी काम निर्विघ्न नहीं होते चलते।

यदि सारे काम बिना बाधा के सहज रूप से होते चले तो कर्म-कौशल का महत्व ही समाप्त हो जाये। मेरा विश्वास है कि जिस काम को करने में मनुष्य को बाधायें नहीं आनी, उसे अपनी कार्य-कुशलता का परिचय देने का अवसर नहीं रहता, वह काम मनुष्य के करने योग्य नहीं होता।

-महामना मदनमोहन मालवीय


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