बन्धु-बान्धव (Kahani)

March 1988

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महात्मा ईसा बहुत से जिज्ञासुओं से घिरे हुए उन्हें उपदेश कर रहे थे। तभी किसी ने आकर उनसे कहा कि -”तुम्हारे भाई और माता वहाँ बाहर खड़े तुमसे बात करना चाहते है। तुम जाकर उनसे मिल लो”

महात्मा ईसा बड़े साधारण भाव से यह उत्तर देकर अपने उपदेश कार्य में लग गये “संसार में मेरा भाई और मेरी माता अन्य कोई नहीं, यही जिज्ञासु जानता ही मेरे भाई और मेरी माता है, क्योंकि जो मेरे स्वर्गीय पिता के आदेश पर चले वहीं मेरे भाई बहन व माता पिता है। मैं परमात्मा के आदेशों का पालन करने वाले को ही बन्धु-बान्धव मानता हूँ।


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