नेहरू जी ने मुस्कराकर कहा -”इसके लिये यहाँ कुछ भी नहीं करना पड़ता। पण्डित जी का पत्रा ही मुहूर्त निकाल देता हैं और पुण्य लाभ की आस्था से प्रेरित यह लोग अनायास ही दौड़ते चले आते है।