एक चींटी कही चली जा रही थी। बीच में दूसरी चींटी मिल गयी। दोनों ने बात चीत की। अतिथि .... ने सुख संवाद पूछा, तो वहाँ खड़ी चींटी ने कहा “बहन! और तो सब ठीक है, पर मुँह खारा बना रहता है।” अतिथि चींटी ने कहा “तुम नमक के पर्वत पर रहती हो, फिर मुँह खारा क्यों नहीं होगा? .... मेरे पास। मैं मिश्री के पहाड़ पर रहती हूँ। वहाँ तुम्हारा मुंह मीठा हो जायेगा। वह अतिथि चींटी के साथ चल पड़ी। वहाँ पहुँचने पर भी उसका मुँह मीठा नहीं हुआ। उसने कहा मुँह में नमक की डली ही नहीं लाई हो।?” वह तो है, पहली चींटी ने कहा। बहन नमक को छोड़े बिना मुंह कैसे मीठा होगा।