जिन पर दो का भार है (Kahani)

March 1988

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उन दिनों जापान में खाद्य पदार्थों पर कन्ट्रोल था। प्रत्येक व्यक्ति को भोजन तौल कर दिया ता था। फौजी सेवा से निवृत्त जनरल यामागुची की खुराक मिलने वाले भोजन से कहीं अधिक थी। कन्ट्रोल से प्रतिदिन जो भोजन उन्हें मिलता था, वह तो केवल उनके नाश्ते के लिए ही पूरा हो पाता था। भोजन की कमी के कारण बूढ़े जनरल दिनों दिन कमजोर होने लगे। आस पास के लोगों को असलियत का पता लगा। तब मुहल्ले भर के लोगों ने अपने अपने हिस्से में से थोड़ा थोड़ा अंश भोजन का बचा कर उनके पास ले गये। उन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया और कहा “भाई मैं तो साल दो साल में मर जाऊंगा। उन लोगों के हिस्से का भोजन कैसे ले सकता हूँ, जो अभी स्वस्थ है, जवान हैं और जिन पर दो का भार है”


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