तीसरे विश्वयुद्ध के बारे में पूछे जाने पर दार्शनिक-वैज्ञानिक आइंस्टीन का कथन था कि आणविक शक्ति संबंधी युद्धोन्माद को देखते हुए यह तो नहीं कहा जा सकता कि यह कैसे लड़ा जाएगा पर इसके बाद यदि कोई युद्ध हुआ तो वह आदिम मानवों के बीच ईंटों और पत्थरों से लड़ा जाने वाला युद्ध होगा।