कुरुक्षेत्र में रणभेरियाँ (Kahani)

June 1987

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कुरुक्षेत्र में रणभेरियाँ बज रही थीं। कोलाहल से आसमान गूँजा।

उसी क्षेत्र में एक पाकर का पेड़ था उसमें घोंसला, घोंसले में टिटहरी के अण्डे बच्चे। भयभीत चिड़िया अपने बच्चों को असुरक्षित देखकर चीत्कार करने लगी।

कृष्ण रथ से उतरे और घोंसले के दरवाजे पर पत्थर का टुकड़ा रखकर उसकी सुरक्षा का प्रबन्ध किया और लौटते ही घोड़े सम्हालने लगे।

भीम ने पूछा-इस विषम बेला में आप कहाँ चले गए थे। कृष्ण ने कहा-युद्ध से बढ़कर संरक्षण है। उसका महत्व कम कैसे आँका जाय?


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