ब्रह्मज्ञान कौन प्राप्त कर सकता है। जिसकी भोगों की इच्छा दूर हो गई हो, जिसके मनोरथ न रहे हों और जिसकी बुद्धि व्युत्पन्न हो गई हो, वह ब्रह्मज्ञान का अधिकारी है। — श्री योगवशिष्ठ