लोग इस बात का ताना-बाना बुनते रहते हैं कि किस तरह जिया जाना चाहिए, यह पर कोई बिरले ही सोचते हैं कि क्यों जीना चाहिए ? जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट होना चाहिए। लक्ष्य विहीन जिन्दगी हवा में उड़ते हुए पत्तों की तरह दिशा विहीन इधर-उधर छितराती रहेगी और उसका न तो कुछ प्रतिफल निकलेगा और न स्वाद मिलेगा।
ठाठ-बाठ के साधनों से अथवा अभाव ग्रस्त परिस्थितियों में रहने से जीवन तत्व के मूल्य में कोई कमी नहीं आती, शर्त एक ही है कि उसके पीछे कोई ऊँचा उद्देश्य और लक्ष्य रहना चाहिए।