मनोयोग पूर्वक कार्य करने से चमत्कारी परिणाम (kahani)

February 1975

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न्यूयार्क की वेस्टिंग हाउस प्रयोगशाला में कुछ समय पूर्व ऐसा परीक्षण किया गया, जिससे लगातार और क्रमबद्ध रूप से किये जाने वाले काम की प्रचण्ड शक्ति का पता चलता है। प्रयोगशाला में आधा टन भारी 8 फुट लम्बा लोहे का गार्डर बीचों बीच एक जंजीर में बाँध कर छत में लटकाया गया, उसमें पास ही आधा ओंस भारी बोतलें बन्द करने के काम आने वाला कार्क एक धागे में बाँध कर लटकाया गया, साथ ही यह व्यवस्था बनाई गई कि कार्क एक नियत क्रम से लोहे के गार्डर से टकराता रहे। मोटेतौर से यही समझा जा सकता है कि इतनी भारी चीज पर इतनी अधिक हलकी वस्तु के टकराव का भला क्या असर हो सकता है? किन्तु परिणाम भिन्न प्रकार का दृष्टिगोचर हुआ। 15 मिनट बाद ही गार्डर में कंपकंपी उठती पाई गई और एक घण्टे बाद वह घड़ा के पेण्डुलम की तरह अपने आप आगे-पीछे हिलने लगा।

लगातार-नियमित रूप से-मनोयोग पूर्वक और व्यवस्थित रूप से काम करने का कितना चमत्कारी परिणाम होता है इसका थोड़ा सा आभास हम भारी गार्डर पर हलके से कार्क के आघात की प्रतिक्रिया को देखकर भी सहज अनुमान लगा सकते हैं।


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