सद्वाक्य— नीति वाक्य

February 1975

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

दुनिया की तीन मूर्खताएँ कितनी उपहासास्पद होते हुए भी कितनी व्यापक हो गई हैं, यह देखकर आश्चर्य होता है। एक यह कि लोग धन को शक्ति मानते हैं। दूसरी यह कि लोग अपने को सुधारे बिना दूसरों को धर्मोपदेश देते हैं। तीसरी यह कि कठोर श्रम से बचे रहकर भी आरोग्य की आकांक्षा की जाती है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles