इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध पत्र ‘स्पेकलेटर’ ने इस देश के आश्रय हीन वृद्धों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए लिखा है- ‘ब्रिटेन में लाखों वृद्ध माता-पिता यह करुण विलाप करते पाये जाते हैं कि भगवान उन्हें जल्दी इस दुनिया से उठा ले, जिन बच्चों को उन्होंने बड़े लाड़-प्यार से पाला पढ़ाया था वे उनकी वृद्धावस्था में जब तनिक भी सहायता, सहानुभूति नहीं रखते और परित्यक्त की तरह भुला देते हैं तो उसे आश्रय विहीन जीवन जीना पड़ता है। अति जीर्ण स्थिति में जब शरीर पराश्रित जैसी स्थिति में होता है तब उनका यह चाहना उचित है कि उनके पाले पोसे बालक सहायता करे, और सहानुभूति बरते पर जब वे पूर्णतया अपने को उपेक्षित पाते हैं तो यही सोचते हैं कि इस दुनिया से कृतज्ञता उठ गयी और यहाँ केवल तभी तक जीना चाहिए जब तक अपने हाथ पाँव काम करे। ‘
लंदन की स्वास्थ्य पत्रिका 'ब्रिटिश मेडिकल जनरल’ ने लिखा है - पाँच वर्श पूर्व जहाँ अस्पतालों में भर्ती पागल 54421 थे वहाँ उनकी संख्या बढ़कर अब 644043 हो गई है।