दार्शनिक पास्कल ने मनुष्य का विश्लेषण करते हुए कहा है- “एक ऐसा बेवकूफ जो अपना सबसे बड़ा दुश्मन है और अपने को ही सबसे अधिक सताता।” नीत्से का कथन है- ‘मनुष्य अर्थात् एक ऐसा सृजन कर्ता जो एक क्रीड़ा तक नहीं बन सकता पर जिसने हजारों ईश्वर बना डाले। रूसो ने आदमी के बारे में लिखा है वह जनम के समय तो स्वतंत्र पैदा हुआ पर उसके बाद उसका हर हिस्सा जंजीरों से जकड़ गया।’ एल्टुअस हक्मलेने उसे ‘बड़बड़ाते रहने वाले बन मानुष कहा है। राबर्ट फास्ट कहते हैं-माँ बीस वर्ष लगाकर जिसे मनुष्य बनाती है पर बीबी बीस मिनट में ही उसे मूर्ख बना देती है।’