पं. मोती लाल नेहरू अपने पुत्र जवाहरलाल नेहरू को विदेश में शिक्षा दिलाने की योजना बना रहे थे। उनके मित्र ने कहा- इस पर कितना खर्च आयेगा मोतीलाल ने हिसाब लगाकर बताया-एक लाख रुपया।
मित्र ने कहा-इतना पैसा तो आप लड़के के नाम से बैंक में जमा कर दे तो उसके लिए स्थाई आमदनी की उतनी सुविधा हो सकती है जितनी विदेश पढ़ने से भी नहीं मिलेगी।
मोतीलाल जी ने कहा मैं अपने पीछे हराम खाऊ नहीं- सुयोग्य संतान छोड़ जाना चाहता हूँ और यह प्रयोजन बैंक पूँजी से नहीं स्वशिक्षा से ही संभव हो सकता है।