बरगद का विशाल वृक्ष नदी के किनारे खड़ा था। यात्री उसके नीचे सुस्ताया और विशालता को सराहता हुआ चला गया।
कुछ ही दिन बाद लौटकर फिर उसी रास्ते आया। पर वहाँ पेड़ नहीं था। यात्री को अचम्भा हुआ और उसने वहाँ के निवासियों से उस पेड़ के न रहने का कारण पूछा?
लोगों ने बताया पेड़ बढ़ा तो जरूर था पर अन्दर से उसकी जड़ खोखली हो गई थी। एक हलका सा तूफान आया और उसे उखाड़ कर फेंक गया।
यात्री रास्ते भर यही सोचता रहा। बाहरी विशालता ही नहीं- अन्दर की गहराई भी आवश्यक है।