दो बार धारा सभा की मेम्बरी

July 1954

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(श्री भोपालसिंह जी एम. एल. ए., गोठड़ा)

गायत्री की माला 1996 के आसोज सुदी 10 से 1-2 रोज जपना शुरू कर दिया था। मगर नियम पूर्वक संध्या और 500-500 जपयान 1000 जप रोज सम्वत् 2004 से जपता आ रहा हूँ। समय पर जप करने या संध्या करने की बहुत कोशिश करता हूँ मगर दिन का समय सुबह से शाम तक ही रहता है और शाम का समय 12 बजे रात तक। इसमें यह आवश्यक है कि जब तक संध्या न की जाय खाना नहीं खाता हूँ। जब भगवती की कृपा होगी तभी समय का पालन होगा।

जब बीमार होता हूँ तो मानसिक जप कर लेता हूँ मगर रोज हर हालत में आज तक तो 1000 जप रोज करता रहा हूँ, और मन में माता की पूर्ण कृपा समझता हूँ। मेरा जैसा छोटा आदमी इतना कम लिखा पढ़ा होते हुए भी एक दफा तो सन् 1947 में धौलपुर धारा सभा का सदस्य होने का सुअवसर पा चुका है और दूसरी दफा अभी चुनावों में राजस्थान धारा सभा का सदस्य होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। और वह भी राजस्थान के सबसे बड़े किसान नेता बलदेव राम जी जो “किसान केशरी” कहलाते थे उनको 3254 वोटों से हराकर यह सब मुझ तुच्छ को इतना सम्मान भगवती गायत्री की कृपा ही का फल है।

कुछ समय पूर्व मुझे टी. बी. की बीमारी हो गई सो जयपुर सेनोटेरियम टी. बी. अस्पताल में भरती करा दिया गया। ताप और खाँसी ने 2 साल तक नहीं छोड़ा और जब अस्पताल में भरती हुआ और माँ से प्रार्थना की कि हे माँ! क्या यहाँ इस तरह के अव्यवस्थित जीवन की अपेक्षा तो तू मेरे प्राण ले ले वह ठीक है। इस पर भगवती ने वह चमत्कार दिखलाया सो डॉक्टर सरजन ने 20 दिन में ही देखकर फोटो लेकर कहा कि तुमने कोई जादू किया है जो दो वर्ष में ठीक होने की उम्मीद नहीं थी सो 20 दिन में असर हुआ है। सच बताओ क्या किया है? तमाम बीमारी का हाल भी बताओ क्या किया है। मैंने कहा भाई माता गायत्री का मन ही मन जप करो भगवती तुमको भी इसी तरह ठीक करेगी और मेरा ज्यादा आग्रह देखकर सरजन ने मुझे गाँव रहकर ही इलाज कराने की सलाह दे दी, सो गाँव में ही मैंने इलाज कराया और अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ। मुझको इतना भगवती का भरोसा है कि जो मेरे दिल में लालसा होती है कि अमूल्य काम भगवती होना चाहिए। वह देरी से हो या जल्दी थोड़ा हो या ज्यादा मगर होकर रहता है।


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