(श्रीमती पं0 चन्दा देवी मिश्रा, बरेली)
विवाह होने के पश्चात मैं ससुराल आई। दो बच्चे होने के पश्चात एक सम्बन्धी के यहाँ जाने परे रास्ते में किसी बाधा ने धर दबाया। मैं यहाँ से बीमार होकर बरेली आई, मैंने अधिक उपचार इलाज अपनी सामर्थ्य से ज्यादा कराया पर हर कहीं से कोरा उत्तर मिला और निराशा बढ़ती गई। यहाँ तक कि कई बार गर्भपात हुआ। हमारे पतिदेव चिन्ता में अधिक दुर्बल परेशान रहते, उन्होंने काफी रुपया हमारे इलाज में लगाया परन्तु कहीं से भी लाभ नहीं हुआ।
हमारे मकान में किरायेदार पं0 यशोदा नन्द मुनीम रहते हैं। उनने गायत्री की महिमा हमें बताई और विश्वास दिलाकर कहा कि गायत्री उपासना आकर्षित करने से आपका कष्ट मिट जायगा।
मुनीम जी की प्रेरणा से हमने गायत्री उपासना की तो अब करीब एक साल के लगभग होने आया धीरे-धीरे रोग अपने आप स्वयं घटता गया। अब समय पाकर गत चैत्र की नवरात्रि में चैत्र सुदी 2 को रात्रि के 2 बजे शान्तिपूर्वक सन्तान का जन्म हुआ है। हम सब लोगों को गायत्री माता पर अटूट विश्वास हो गया है।
माता को कोटि धन्यवाद है जिनकी कृपा से हमारा दुख दूर हुआ। सचमुच यह ठीक ही कहा है कि जो माता की शरण लेता है उसे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पदार्थ मिलते हैं।