(पं. रामचन्द्र व्यास बागली)
इस समय मेरी आयु 54 वर्ष की है। मैं यह नहीं कहता कि मेरा कोई दोष न था। सारे दूसरे लोग मेरे दुश्मन बन गये। दोष मेरा भी न था परन्तु जिन लोगों ने दुश्मनी की उनके साथ मेरी कोई दुश्मनी नहीं थी। उनका मैंने कोई दोष नहीं किया अकारण मेरे शत्रु बने।
भगवती की असीम कृपा व दया से बड़े-बड़े रईस, जागीरदार मेरे विरुद्ध होते हुए मेरा कुछ भी नुकसान न कर सके।
मैंने किसी कालेज या बड़ी पाठशाला में विद्या अध्ययन नहीं किया। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मेरे पूज्य पिता जी ने ही हिन्दी का कुछ बोध करा दिया था।
मैं प्रारम्भ से आजतक गायत्री उपासना करता आया हूँ। इसके प्रभाव से मुझे अच्छी नौकरियाँ मिली। वकील के पद से कोर्टों में मुख्तारी द्वारा प्रेक्टिस की, जागीरों में उच्च पदों पर काम किया, मामूली लिखा पढ़ा होने पर मजिस्ट्रेटी के पद पर भी पाँच वर्ष तक कार्य किया।
कई बड़े-बड़े संकट आये। दुर्व्यसनों का भी शिकार हुआ। भगवती के जप व अनुष्ठान से अब संकट दूर हुये शत्रुता का अन्त हुआ। अर्थात् दुर्व्यसनों का अन्त हुआ।
मेरी आर्थिक स्थिति अत्यन्त कमजोर होने की दशा में मित्रों ने, नातेदारों ने, घनिष्ठ निकटवर्ती काकी, मामाओं ने कोई साथ किसी प्रकार का नहीं दिया। जिन मित्रों के लिए मैंने अपने सम्पूर्ण जीवन भर साथ दिया उनने भी समय आने पर मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और मेरे जीवन के हर कार्य में उनने रुकावट की। परन्तु भगवती की दया से मुझे सफलता ही मिली।
आज मेरे चार लड़के अच्छी शिक्षा पा चुके। मैट्रिक, बी. ए., बी. ए. एल. एल. बी., साहित्य रत्न, विशारद परीक्षाओं में अच्छे डिवीजन में उत्तीर्ण हुए और चारों इस समय अच्छी सर्विस में हैं। बड़ा पुत्र मदनलाल व्यास शहर इन्दौर टेलीग्राफ में सिनगनेसर हैं। उससे छोटा शिवलाल व्यास रसलपूरा (महू) हाईस्कूल में अध्यापक है। और इस वर्ष एल. एल. बी. के फाइनल इम्तहान में शिक्षा पा रहा है। तीसरा बेणीमाधव हाईस्कूल सनवास में अध्यापक है। बी0 ए0 है। चौथा रघुनन्दन व्यास एम॰ ए॰ है। भोपाल में टेलीफोन एक्सचेंज आफिस में टेलीफोन आपरेटर है। पाँचवाँ लड़का शिवाजी राव हाईस्कूल इन्दौर में शिक्षा पर रहा है, इस वर्ष मैट्रिक में है।
माता पिता के देहावसान के पश्चात कुटुम्बियों ने अधिक सताया, मित्रों ने साथ नहीं दिया। परन्तु माता गायत्री ने साथ दिया। लड़कों की शिक्षा लड़कों के विवाह, माता पिता के उत्तर कर्म, जाति, भोज आदि सभी कार्य हुए। जिनमें हिसाब जोड़ा जाय तो कई हजार रुपया होता है। यह सब कैसे हो गया भगवती ही जाने।
लड़कों के सम्बन्ध सगाई के करने कराने में कुटुम्बियों का कोई हाथ नहीं घर की स्थिति अत्यन्त नाजुक दरिद्रता ने कुछ समय के लिये अच्छा मुकाम किया। इस दरिद्री अवस्था में नातेदारों की, घनिष्ठ मित्रों की भगवती न पहचान कराई। यह भी भगवती का प्रसाद ही था।
पं. शिवदत्तजी शुक्ल उज्जैन गुदड़ी बाजार के लेख भगवती उपासना के सम्बन्ध में कल्पवृक्ष मासिक पत्र उज्जैन में आते थे। उनको देख देखकर मुझे अत्यन्त लाभ हुआ। मैं स्वयं पण्डित शिवदत्त जी के पास गया। उनके उपदेश के सवा सवा लक्ष के अनुष्ठान किये। पंडितजी ने कहा कि नित्य ब्रह्म मुहूर्त में 1000 जप व उसका दशाँश हवन 6 वर्ष तीन मास तक करो तो तुम्हारा गायत्री पुरश्चरण हो जायगा। मैंने पं0 शिवदत्तजी के उपदेश को ग्रहण किया और भगवती की कृपा से 6। वर्ष तक 1000 जप व दशाँश हवन का कार्य चलता रहा। इसी 2400000 लक्ष जप हवन का प्रताप है कि आज सफलता के दर्शन करता हूँ।