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July 1954

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अपघ्नंतो अराव्णः ऋग्. । 9। 63। 5

हम दुष्ट जनों को दण्डित कर आगे बढ़ें।

ज्यायस्वन्तश्चित्तिनो मा वियौष्ट। अथर्व 3। 30। 5

बड़ा बनने की इच्छा वालो! ज्ञानी बनो, बिछड़ो मत।


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