संकट में सहायता करने वाली गायत्री माता

July 1954

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(श्री शम्भु प्रसाद मिश्र, हृदयनगर)

(1) अर्थ संकट में संरक्षण

मध्य प्रदेश में मालगुजारी उन्मूलन के पश्चात मेरा मुख्य धंधा केवल कृषि कर्म शेष रह गया। सन् 50 ई. में यहाँ मालगुजारी प्रथा का अन्त हुआ। तभी से मैं अर्थ संकट से घिरा रहता था क्योंकि पूर्वजों की बनाई सम्पूर्ण जमींदारी को राज्य विधेयक द्वारा छीन लिया गया। गत मई 53 से मैंने अत्यधिक अर्थ संकट अनुभव किया। गृहस्थी बड़ी, खर्चे अधिक और आपद न्यून यहाँ तक कि आवश्यकता पर उधार कर्ज में भी द्रव्य मिलना कठिन था। मैं दिन-रात अपने खर्चें की पूर्ति के लिये चिन्ता में लीन रहता। तब ऐसे कठिन समय में मैंने अपनी इष्ट माता से द्रव्य की सहायता की माँग की। जिस दिन मैंने इष्ट माता गायत्री से द्रव्य सहायता की प्रार्थना की उसके दूसरे दिन मुझे सूचना प्राप्त हुई कि “मध्य प्रदेश सरकार” के उप प्रधान सचिव माननीय श्री नरेश चन्द्रसिंह जी 20 मई 53 ई. को हृदयनगर में आवेंगे।

मेरे पास एक बड़ा जंगल था उसमें बहुत से सागौन आदि के वृक्ष थे। पर सरकारी प्रतिबन्ध के कारण उन्हें बेचने काटने का अधिकार न था। पैसे की तंगी दूर होने का एक ही उपाय सूझ रहा था कि यदि इस जंगल को काटने की स्वीकृति मिल जावे तो कठिनाई दूर हो। पर मेरे लिए वह प्रतिबन्ध क्योंकर हटेगा, यह एक निराशा की बात थी। मैंने गायत्री उपासना पर पूरा बल लगा दिया और नियत तारीख पर अपनी अर्जी लेकर उस प्रधान सचिव के समक्ष उपस्थित हुआ। इसे माता की कृपा ही कहना चाहिए कि जंगल काट लेने की स्वीकृति मुझे मिल गई। फलस्वरूप 500 सागौन के दो-दो फुट से अधिक मोटे वृक्ष मैंने उसी दिन बेच दिये। उनका रुपया आने से उलझी हुई सभी आर्थिक कठिनाइयों का समाधान हो गया।

2. लगभग दो साल से मेरा स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ था। शरीर निर्बल, कफ, खाँसी, श्वांस की अत्यधिक तकलीफ, साथ ही गुदा रोग की शिकायत, आयुर्वेदिक उपचार और डाक्टरी परीक्षा आदि सभी उपाय शरीर रक्षा के लिये हो रहे थे, परन्तु शारीरिक निर्बलता बढ़ती ही गई, यक्ष्मा और श्वांस ऐसे भयंकर रोगों का दौरा। सब घर वाले सम्बन्धी जन समझते थे यद्यपि बीच-बीच में दवाओं के प्रभाव से व भगवत् कृपा से स्वास्थ्य लाभ के लक्षण दीखते थे, परन्तु हम सब लोगों को मेरे स्वास्थ्य के प्रति महान चिन्ता थी। पण्डितों ज्योतिषियों ने महामृत्युँजय मन्त्र विशेष संख्या में आरोग्यता लाभ के लिये जप कराने की व्यवस्था दिये और महामृत्युँजय मन्त्र जप आरम्भ कराने के लिये भी मैं प्रबन्ध कर रहा था परन्तु उसी समय गत श्रावण 2020 वि. यानी एक माह के भीतर ही में कफ खाँसी से विशेष कष्ट के कारण पुनः बुरी तरह रोग ग्रस्त हो गया। घर के लोग मेरे पलंग के पास छोटी टोकनी में राख रख देते थे। प्रातः टोकनी कफ से भरी मिलती रात भर पूरी नींद लेना कठिन था, यों चिकित्सा चालू थी। दवा मैं ले रहा था पर प्रारब्ध भोग को मिटाने की शक्ति तो केवल परमात्मा में ही है। मैंने गायत्री उपासना के अवलम्बन को संभाला क्योंकि मुसीबत के समय प्राण रक्षा करने वाली एक मात्र शक्ति वही है। मेरा रोग धीरे-धीरे घटना आरम्भ हुआ और कुछ ही दिनों में स्थिति सुधर गई। अब टोकनी रखने की जरूरत नहीं रात भर पूरी नींद आती है। यों चमत्कार पूर्ण भयंकर रोग से छुटकारे का मूल कारण वहीं वेदमाता गायत्री की रहस्यमय कृपा है व प्रत्यक्ष दैवी कला है। जो श्री गायत्री माता अपने भक्त पुत्रों को सदा प्रदान करती हैं, जो पुत्र अपनी इष्ट माता गायत्री की शरण में पूर्ण विश्वास के साथ रहते हैं, उनके सभी कार्य सफल होते हैं, उन्हें चारों पदार्थ अवश्य ही प्राप्त होते हैं।


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