परीक्षा में सफलता

July 1954

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(श्री श्याम बिहारी लाल मिश्र, फैजनगर)

मेरे दादा गायत्री माता की उपासना करते हैं। और कुशल उपासक हैं और अपना अधिक समय गायत्री की सेवा में व्यतीत करते हैं। मैंने प्राथमिक शिक्षा निज ग्राम में ही प्राप्त की, तथा माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिये मिडिल स्कूल मदनापुर, शाहजहाँपुर मण्डलार्न्तगत गया, और वहाँ से मिडिल कक्षा उत्तीर्ण की, तत्पश्चात दादा तथा चाचा ने इंग्लिश भाषा से मेरा अधिक प्रेम न देखकर तथा देव भाषा संस्कृत की ओर मेरी अभिरुचि देखकर मुझे एक पाठशाला संस्कृत पढ़ने के लिये प्रवेश कराया। मैं परिश्रम में लग गया शिक्षा अध्ययन करने, किन्तु दुर्भाग्य वशात् में परीक्षा से दो मास पूर्व रुग्ण हो गया। स्वस्थ होने पर ध्यान हुआ कि परीक्षा के केवल 10 दिन शेष हैं। मैंने अपने दादा जी से कहा कि मैं परीक्षा मैं सफल नहीं हो सकता अतएव में परीक्षा में सम्मिलित नहीं होऊँगा। दादाजी मुझसे कहने लगे कि बेटा तू गायत्री माता की साधना कर और उनसे विनय कर कि हे माता! अपने पुत्र को सफलता दे। मैंने दादा के कथन मानकर माता के चरणार्विन्दों में मन लगा परीक्षा में सम्मिलित हुआ माता की कृपा दृष्टि हुई और परीक्षा परिणाम घोषित होने पर मैं अपनी देय परीक्षा संस्कृत प्रथमा में द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। तब से निरन्तर मेरा मन माता के श्री चरणों में लगा रहता है तथा मेरा जीवन सुखमय व्यतीत हो रहा है। मैं इस समय अपने जिले से शिक्षक पदारुढ होकर अध्ययन कार्य करता हूँ। यह माता की ही अनुकम्पा है, कि मेरी जटिल से जटिल समस्याएँ शीघ्र ही हल हो जाती हैं।


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