गायत्री शक्ति और मेरे अनुभव

July 1954

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(पं. मनोहर लाल मण्डाहर बी. ए. नागपुर)

मैं 20 साल से भी ज्यादा गायत्री माता का सेवक हूँ और इस 36 साल के छोटे जीवन में माता की अपार कृपा से जीवन सुखी और आनन्द से व्यतीत हो रहा है। गायत्री साधना से क्या-क्या लाभ होते हैं इनका मैं निजी अनुभव कर चुका हूँ, मेरे बगैर माँगे माता ने मुझे सब सुख साधन, विद्या, यथा शक्ति, धन, सुशील स्त्री, दो पुत्र, दो लड़कियाँ, अच्छा परिवार दिया है और अब तक हर काम में माता सहायता करती है।

मेरे पितामह और स्वयं पिताजी गायत्री माता के परम भक्त थे। पिताजी ने गायत्री माता की कृपा से अपने जीवन में व्यापार में लाखों कमायें और लाखों गंवायें, किसी स्कूल या कालेज में न पढ़कर भी सब विद्याएँ जानना, सब कुछ देकर सेवा करना, सारी आयु दयानतदारी और मिलनसारी को न छोड़ना और पूर्ण आयु 67 साल भोगकर सुखी-सुखी गायत्री जाप करते हुए सदा के लिये माता की शरण में जाना- यह सब माता गायत्री का वरदान ही कहा जा सकता है। मैं इसी सुखी परिवार में जन्मा, बड़ा हुआ और पिता के व्यापार में हानि लाभ से मुझे भी कई अनुभव हुए। इसलिये धन को मैंने कोई जीवन में ऊँचा स्थान नहीं दिया। छोटेपन में उन्हीं की प्रेरणा से गायत्री की ओर झुका। आगे चल कर शनैः-शनैः कई महात्माओं और महापुरुषों की कृपा से उन्नति के पथ की ओर बढ़ता रहा हूँ।

मुझे गायत्री साधन से कई अनुभव हुए हैं उनको आपकी जानकारी के लिए यहाँ लिखता हूँ। उनसे आपका उत्साह बढ़ेगा ऐसी मेरी आशा है। जो कुछ लिख रहा हूँ अक्षर-अक्षर सत्य हैं, आप इस रचना को जीवन में करके स्वयं अनुभव कर सकते हैं। मेरे अपने जीवन में तथा मेरे निकटवर्ती अनेक व्यक्तियों के जीवन में जो गायत्री उपासना द्वारा अनेकों लाभ हुए हैं उन सबका विस्तृत वर्णन करके पाठकों अमूल्य समय लेना नहीं चाहता। उन घटनाओं के आधार पर जो निष्कर्ष निकलते हैं वे नीचे दिये जाते हैं। यह निम्नलिखित तथ्य पूर्ण सत्य हैं। प्राचीन काल के ऋषियों से लेकर आज के सामान्य गायत्री उपासकों तक को यह अनुभव समान रूप से होते रहते हैं।

1. गायत्री के सच्चे उपासक की कभी भी अकाल मृत्यु नहीं हो सकती- यहाँ तक कि उसके अपने परिवार-अपने बाल बच्चे तक अकाल मृत्यु से नहीं मर सकते। कोई शक्ति हर समय साधक की रक्षा करती है। गायत्री प्राणों की रक्षा करती है यह कथन अपने अनुभव के आधार पर सत्य है। हम सब स्वयं पाकिस्तान में गोलियों से बचे- माता ने अपने आप हमें बचाने के साधन पैदा किये और इज्जत के साथ वहाँ से पूर्वी पंजाब में आये।

2. सुखी परिवार और गृहस्थ जीवन- मेरे गृहस्थ जीवन को 16 साल हो जायेंगे और नियम पूर्वक रहने से सब तरह से गृहस्थ जीवन सुखी है। दो लड़के, दो लड़कियाँ, सुशील और धर्म परायण धर्म पत्नी से जीवन स्वर्ग बना हुआ है।

3. गायत्री का उपासक और उसका परिवार सदा बीमारियों और रोग कष्टों से बचते हैं। गायत्री उपासक को दिल की बीमारी वगैरह नहीं हो सकती। क्षय रोग और दूसरे रोग दूर भाग जाते हैं।

4. गरीबी और दरिद्रता दूर भाग जाती है। बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सुख समृद्धि के साधन मिलते हैं। चरित्र बल से सब कुछ मिल जाता है।

5. अच्छे मित्रों का मिलना।

6. गायत्री माता के सहारे के सिवाय किसी तरफ सहायता की याचना न करना। अपने पर विश्वास।

7. विद्या, संगीत और कला का शौक। घर में अच्छी अच्छी पुस्तकें पत्रिकाएँ मँगवाना और स्वयं आप पढ़ना व परिवार को पढ़ाना।

8. शारीरिक ज्ञान- नेचर क्यौर आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक से सरल चिकित्सा करना।

9. नशे की चीजों से घृणा करना- शराब, सिगरेट वगैरह और दूसरे व्यसनों, जुआ वगैरह से घृणा।

10. नित्य स्वास्थ्य का ख्याल प्रातः व्यायाम स्वयं करना और दूसरों को करने के लिये उत्साह देना, योग के आसन, यथा शक्ति सरल प्राणायाम करना जिससे शरीर का निरोग होना। स्वास्थ्य सम्बन्धी पुस्तकें स्वयं खरीद कर पढ़ना और दूसरों को अनुभव देना।

11. निष्काम सेवा, सादा जीवन और सच्चा व्यवहार।

12. गायत्री उपासना के बारे में आर्य समाज और सनातन धर्म वालों में कोई झगड़ा नहीं इसलिए संकुचित हृदय का न बनना और विशाल हृदय से खण्डन मण्डन को छोड़ते हुए सबको मिलाने और एक मंत्र पर लाने की कोशिश करना।

13. धन तो जो मिलना है मिलेगा ही, इसलिए रात दिन की चिंता छोड़ कर आगे पग बढ़ाना, जो जरूरत से अधिक है उसे शुभ कामों, यज्ञ आदि कार्यों में लगा देना। मैंने धन को आज तक ज्यादा दर्जा नहीं दिया इसलिये कज्जल की चिंताओं से बचा हुआ हूँ।

14 शत्रुओं का न होना।

15. स्त्रियों को भी गायत्री साधना का पूर्ण अधिकार है। मैं छोटी-छोटी लड़कियों और बालकों को इस ओर लाने की बहुत कोशिश करता हूँ।

16. गायत्री माता ने मेरी प्रार्थना पर पिछले दिनों मेरे एक मित्र के पहले छोटे तीन चार दिन के बच्चे को जीवन दान दिया और मेरी लाज रखी क्योंकि उनका नमक खाने से मेरा भी फर्ज था कि उनके सुख के लिये प्रार्थना करता।

17. स्वयं अपनी छोटी लड़की जो मुँह में कुछ डालकर प्राण देने को थी, गायत्री माता की कृपा से मेरे स्वयं घर पर अक्समात होने और दूसरी बार मुँह में हाथ डालकर गले में अटकी हुई चीज को निकाल सका। गायत्री माता ने उसे प्राण जीवन दिया।

18. मेरा अनुभव है कि जिसने भी मुझे तंग किया या द्वेष किया उसे माता ने जरूर मेरे कहने के बगैर सजा दी है। गायत्री के साधक के हित के लिये माता शत्रुओं का दमन करती है।

गायत्री साधना कभी किसी की निष्फल नहीं जाती और फिर सरल है और विघ्न भी वैसे नहीं आते।


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