संपादकीय क्षमा प्रार्थना

July 1951

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इस अंक को हम जितना सुन्दर बनाना चाहते थे उतना न बना सके। पृष्ठ संख्या सीमित होने के कारण आधे से अधिक अनुभव अपने से बच गये। लेखों के साथ लगे हुए लेखकों के कई चित्र साफ छपने में न आये। मुख पृष्ठ जितना सुन्दर छपना चाहिए था उतना न छपा। इतनी त्रुटियाँ रहते हुए भी इस अंक में सामान्य अंक की अपेक्षा दूने से अधिक खर्च लग गया। सरकार के फिर अदूरदर्शिता पूर्ण पेपर कन्ट्रोल लगा देने से कागज के दाम ड्योढे़ हो गये और महँगे दाम पर भी अच्छा कागज उपलब्ध न हो सका। जैसा कुछ बन पड़ा यह अंक पाठकों के सामने है। गायत्री जयन्ती पर यह विनम्र श्रद्धाँजलि अखण्ड ज्योति परिवार की ओर से भेंट करते हुए इतना ही संतोष है कि प्रयत्न से गायत्री महा तत्व की अधिक जानकारी बढ़ेगी और माता का आश्रय लेकर अनेकों व्यक्तियों को जीवन सफल करने का अवसर मिलेगा। हमारी आन्तरिक इच्छा है कि गायत्री का अधिकाधिक प्रचार हो, इस प्रयत्न में सहयोग देकर ज्ञान यज्ञ के भागीदार बनने की पाठकों से हमारी आग्रह पूर्वक प्रार्थना है।


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