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July 1951

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- ब्रह्म आदि देवता भी गायत्री का जप करते हैं, वह ब्रह्म साक्षात्कार कराने वाली है। अनुचित काम करने वालों के दुर्गुण गायत्री के कारण छूट जाते हैं। गायत्री से रहित व्यक्ति शूद्र से भी अपवित्र है।

-भारद्वाज

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- मन्दगति, कुमार्गगामी और अस्थिर मति भी गायत्री के प्रभाव से उच्च पद को प्राप्त करते हैं। फिर सद्गति होना निश्चित है जो पवित्रता स्थिरतापूर्वक सावित्री की उपासना करते हैं वे आत्मलाभ करते हैं।

-वशिष्ठ


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