असफलता में सफलता की झाँकी

July 1951

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(श्री वैजनाथ भाई रामजी भाई गुलारे)

गायत्री की पूजा में धर्म और अर्थ दोनों का लाभ है, इसलिए दूसरी पूजाओं के बजाय मुझे यही अधिक प्रिय है। गायत्री की मैंने बड़ी प्रशंसा सुनी थी। कई व्यापारियों ने मुझसे कहा था कि इस पंडितों से गायत्री का जप कराते हैं। इससे लक्ष्मी जी की कृपा रहती है। तब से मेरा ध्यान भी उधर गया।

पहले मैंने संवत् 2001 में 24 पंडितों द्वारा गायत्री पुरश्चरण कराया। हमारे ऊपर इनकम टैक्स का मुकदमा चल रहा था, बड़ी रकम का मामला था, माता से यह प्रार्थना थी कि इसमें जिता दें। अनुष्ठान में तीन हजार रुपया लगा। मुकदमा हम हार गये। पर एक लाभ ऐसा हुआ जो मुकदमे को जीतने से भी बड़ा था। मेरे छः सन्तान हुई थी छः ओं कन्याएं हैं। एक मर गई चार पाँच जीवित है अनुष्ठान के बाद पत्नी गर्भवती हुई और पैदा हुआ, वंश डूबने की जो चिन्ता हो रही थी वह दूर हो गई। घर भर खुशी से फूला न समाया। एक तरह से अनुष्ठान असफल रहा पर दूसरी तरह से उसका पूरा लाभ मिल गया।

दूसरा अनुष्ठान संवत् 2003 में कराया। मझली लड़की को तपैदिक हो गई थी उसकी प्राण रक्षा के लिए यह कराया थाञ्। लड़की तो न बची मगर मेरा सत्रह साल का बवासीर अच्छा हो गया। इस दुष्ट रोग का तीन बार आपरेशन हो चुका था, हजारों खर्च हो चुके थे और सदा ही बड़ा कष्ट रहता था उससे छूट जाना भी मेरे लिए लड़की के अच्छी हो जाने जैसा ही सन्तोष की बात है।

तीसरा अनुष्ठान संवत् चार में कराया। बड़े दामाद बीमार थे। जलोदर की चिकित्सा कराना हमारे यहाँ हो आ गये थे। डॉक्टर इंजेक्शन तो लगा रहे थे पर बचने की किसी को आशा न थी। अनुष्ठान कराया, परन्तु दामाद न बच सके। फिर भी उस वर्ष व्यापार में इतना लाभ हुआ जितना कई वर्षों को मिलाकर भी नहीं हुआ था।

तब से हर साल अनुष्ठान होता है और स्वयं भी पूजा तथा जप करता हूँ। मुझे उससे लाभ ही होता है। मेरी प्रार्थना तो माता ने एकाधबार ही सुनी है पर वे अपनी इच्छा से मुझे बहुत कुछ देती हैं। ज्ञानी लोग बताते हैं कि अटल प्रारब्ध भोग नहीं टलते पर गायत्री की कृपा भी व्यर्थ नहीं जाती। अवश्य ही गायत्री में चमत्कार है उसका भक्त लाभ में रहता है जैसे-जैसे मेरी आयु बढ़ती जाती है भजन पूजा में मन बहुत रमता है। माता की कृपा से सब कुछ सम्भव है, परलोक में मेरी सद्गति होना भी सम्भव है।


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