नैष्ठिक गायत्री साधक

July 1951

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(पं॰ अयोध्याप्रसाद जी दीक्षित, कानपुर)

हमारे गाँव जुगराजपुर में जो कि कानपुर जिले के अंतर्गत है जंगल में एक कुटी बनी हुई है। एक ब्राह्मण जिनका कि नाम छेदीलाल जी है। उनको कि हम अच्छी तरह से जानते हैं। क्योंकि विद्यार्थी जीवन में जब कभी हमें छुट्टी मिलती थी हम अपने गाँव पहुँच कर उस कुटी पर अवश्य जाया करते थे वे गायत्री माता की उपासना में लगे हुये हैं अब उनकी अवस्था 50 के करीब होगी। भगवान सूर्य देव के सन्मुख खड़े होकर साधना किया करते हैं और दोपहर में नित्य प्रति हवन करते हैं तथा एक बार ही भोजन करते हैं। उनके चेहरे पर एक अनोखा तेज है। वाणी में मधुरता है, संस्कृत का उदाहरण तो उनका इतना शुद्ध है कि प्रशंसा से बाहर है उनका घर धन-+धान्य से परिपूर्ण है और सभी प्रकार से सुख शान्ति है। उस कुटी पर उनके गुरु बाल ब्रह्मचारी हैं। उन्होंने हमारे पिता के कहने पर कि इसको विद्या नहीं आती है मुझे मंत्र दिया था और कहा था कि उसके जप मात्र से बुद्धि तीव्र हो जायेगी। सचमुच उसका मुझे बड़ा अच्छा लाभ मिला। उनके दर्शनार्थ बहुत-बहुत दूर से लोग आया करते हैं लेकिन दोपहर के समय उनका कोई पता नहीं चलता कि वे कहाँ चले जाते हैं। जो महानुभाव कानपुर के रहने वाले यदि हैं उनको दर्शन की अभिलाषा हो तो जुगराजपुर जा कर देख लें।


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