VigyapanSuchana

November 1941

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पराधीन भारत के उद्योगपतियों की विजय-यात्रा का इतिहास !

हिन्दी साहित्य जीवन में नई सृष्टि ! एक सर्वथा नया आयोजन !

लेखक द्वारा लिखी जाने वाली 100 जीवनियों में 15 का अद्वितीय बेजोड़ संग्रह भी छप गया। अवश्य खरीदिये।

‘भारत की व्यवसायी विभूतियाँ’

प्रणेता-विद्याभूषण पं. मोहन शर्मा, विशारद पूर्व सम्पादक-”मोहिनी’

भूमिका लेखक-प्रोफेसर श्री ज्वालाप्रसाद जी, सिंहल, एम.ए.एल.एल.बी.एफ .आर. ई.एस. इस अनुपम ग्रन्थ में देश के उन उद्योग संचालकों की जीवन झाँकियाँ बोलती हुई भाषा में अंकित की गई हैं, जो स्वावलम्बन, अध्यवसाय आदि श्रेष्ठ गुणों की सहायता से धन, जन, प्रतिष्ठा और सेवा बल में विश्व विख्यात हुए हैं। पुरुषार्थ और मनोबल के निरन्तर उपयोग द्वारा मनुष्य क्या से क्या बन सकता है। इससे जुदे 2 चित्र इस एक ही ग्रन्थ में देखिये।

अपनी प्रति के लिये आज ही माँग भेजें। अन्यथा द्वितीय संस्करण तक ठहरना होगा। मूल्य सजिल्द का 1 अजिल्द का 1 रुपया।

विक्रेता -मोहिनी कार्यालय, इटारसी, (सी पी)

मथुरा से शीघ्र ही निकलने वाला धार्मिक एवं सदाचार विषयक सचित्र मासिक-पत्र

सम्पादक-श्री दानबिहारीलाल शर्मा वृन्दावन वार्षिक मूल्य

संचालक बा. प्रभुदयाल मीतल, मथुरा।

सत्संग के-

आज ही ग्राहक बनिये -- एक प्रति का

यह पत्र बहुत शीघ्र बड़ी सज धज के साथ निकल रहा था। इसमें पूज्य महात्माओं के कल्याणकारी उपदेश, मानव जीवन को देवी बनाने योग्य नैतिक एवं आध्यात्मिक लेख एवं सुरुचिपूर्ण उपदेश प्रद कवितायें तो प्रति मास रहेंगी ही, साथ ही स्वास्थ्य, सदाचार, तथा सन्मार्ग विषयक ऊंचे दर्जे के विचारों का भी नियमित प्रकाशन इसमें होगा। इस पत्र को देश के अनेक पूज्य महात्माओं, उच्च श्रेणी के प्रसिद्ध विद्वान् एवं नामी भावुक सुकवियों का पुनीत सहयोग प्राप्त हो गया है। इसी से इसमें ठोस और बड़े काम की पाठ्य सामग्री रहेगी।

इस सूचना के पढ़ते ही शीघ्र ही कृपया रु भेजकर ग्राहक श्रेणी में नाम लिखाइये। जो सज्जन इस पत्र के आठ ग्राहक बनाकर उनका मूल्य व पते हमें इकट्ठे भेजेंगे, उन्हें एक वर्ष तक यह बिना मूल्य ही मिलेगा। अतः ग्राहक बनने की शीघ्रता कीजिये।

पता - मैनेजर- ‘सत्संग‘ सत्संग-भवन, मथुरा। ()


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