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November 1941

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जिस तरह नदी के एक चुल्लू भर पानी में उसके सभी गुण होते हैं। उसी तरह पुरुष में भी प्रभु के सत गुण होते हैं।

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यदि तुमको आनन्द और शान्ति की आवश्यकता है, तो उसकी प्राप्ति का केवल यही रास्ता है-अपने को जीतो, अपनी समस्त अभिलाषाओं का अन्दर रहने वाली शक्ति को पहरेदार बना दो।

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यदि तुम को झूठ बोलने से, आत्मा को दुःख पहुँचाने से सम्पत्ति मिले, तो वह ठीक नहीं है। न्याय और परिश्रम का एक-एक पैसा, अन्याय के कई रुपये के बराबर है।


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