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November 1941

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मनुष्य और पशु-पक्षी में जो चित-स्वरूप आत्मा है। वही परमात्मा है। चींटी से लेकर ब्रह्मा तक जितने प्राणी हैं उन सब की सेवा करना ही परमात्मा की सेवा है।


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