मनुष्य और पशु-पक्षी में जो चित-स्वरूप आत्मा है। वही परमात्मा है। चींटी से लेकर ब्रह्मा तक जितने प्राणी हैं उन सब की सेवा करना ही परमात्मा की सेवा है।