(पं. श्याम बिहारी लाल जी रस्तोगी. बिहार शरीफ )
युग परिवर्तन के प्रश्न पर हरिवंश पुराण के भविष्य के अध्याय 4 में 12 से 19 तक के श्लोकों में कुछ प्रकाश डाला गया है। पाठकों के लाभार्थ उसका कुछ परिचय नीचे दिया जाता है-
मूर्खा स्वार्थापरालुब्धा क्षुद्राःक्षुद्र परिच्छदा।
व्यवहारोपकृत्त श्रच्युता धच्चि शाष्वतात्।
हर्वारः पर रत्रानाँ पर दारा पहारकाः।
कामात्मानों दुरात्मानः सोपधाः प्रिय साहसाः।
लोग मूर्ख, स्वार्थ परायण, लोभी, तुच्छ, नीच कामना वाले, दुर्व्यवहार करने वाले, शाश्वत धर्म से पतित, पराये धन को चुराने वाले, पराई स्त्रियों में रत, कामी, दुरात्मा, ठग, भयंकर कर्म करने वाले हो जावेंगे।
विप्र रुपाण रक्षाँसि राजान् कर्ण भेदिनः।
पृथ्वीमुप भोक्ष्यन्ति युगान्ते समुपस्थिते॥
निःस्वाध्यायावव षट्काम अर्नयाश्चयभि मानिनः
विप्राः कृव्याद रुपेण सर्व भक्षा वृथा ब्रताः।
दुष्ट, राक्षस लोग ब्राह्मण रुप बनाकर फिरेंगे। राजा कानों पर विश्वास करने वाले होंगे, ब्राह्मण लोग स्वाध्याय और धर्म कर्मों को छोड़कर अनीति एवं अभिपान का आश्रय लेंगे। चील कौओं की तरह अभक्ष होने को होगा तो ऐसी बातें होने लगेंगी।
महायुद्धं महानादं, महावर्ष, महभयम्।
भविष्यति युगे क्षीणे तत्कषायस्य लक्षणम्॥
महायुद्ध होगे, तोप बम जैसे आग्नेय अस्त्रों की भयंकर गड़गड़ाहट होगी, अतिवृष्टि अथवा अनावृष्टि होगी, साम्प्रदायिक दंगे, लूट मार अग्निकाण्ड आदि के द्वारा बड़े भय उत्पन्न होंगे। इस प्रकार के दृश्य युगांतर के समय उपस्थित होंगे।
यह बात आज प्रत्यक्ष दिखाई दे रही है, इस से प्रतीत होता है कि अब युग परिवर्तन का समय आ गया।