पाठकों का पृष्ठ

November 1941

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

“धनवान बनने के गुप्त रहस्य” पुस्तक मिली। पुस्तक क्या है, निराश, बेकार और गरीब लोगों में प्राण भर देने वाली बिजली है। लोग धन प्राप्त करना चाहते हैं, किन्तु उन्हें उसके गुप्त रहस्यों का पता नहीं होता, इसलिए जन्म भर असफल रहते है आपने इस पुस्तक में वे रहस्य खोल कर रख दिये हैं जिनके बिना कोई धनवान नहीं बन सकता।

-प्रकाशनारायण सक्सेना, रीवाँ।

मैं धनवान बनने के लिए बहुत दिनों से चिन्तित हूँ। इसके लिए सैकड़ों पुस्तकें पढ़ी हैं, उनमें चूरन, चटनी, तेल, साबुन बनाने की विधियों के अलावा कुछ नहीं होता। हम देखते हैं कि इन चीजों को बनाने और बेचने वाले हर शहर में सैंकड़ों हैं, पर एक भी धनवान दिखाई नहीं देता। आपकी पुस्तक अनूठी है, उसमें कुबेर की अन्तरात्मा बोलती हुई सुनाई पड़ती है। ऐसी ही पुस्तकें हम गरीबों का भला कर सकती हैं। धनवान बनने के गुप्त रहस्य पुस्तक छापने के लिए आपको बधाई।

-विद्याप्रकाश जैसवाल, फरीदपुर।

आपने ‘धनवान बनने के गुप्त रहस्य’ पुस्तक लिखकर देश की बड़ी भारी सेवा की है। मैंने इसे दस बार पढ़ा है, पर तृप्ति नहीं होती। निस्संदेह धनवान बनने का केवल यही मार्ग हो सकता है, जिसका इस पुस्तक में वर्णन किया गया है। भौतिकवाद और आध्यात्मवाद का यह अद्भुत संमिश्रण है।

-तिलकचंद लखनचंद राठी, जौनपुर।

‘बुद्धि बढ़ाने के उपाय’ मुझे बहुत पसंद है। बहुत खोज के साथ लिखी गई है, हमारे स्कूल के विद्यार्थी इसमें वर्णित उपायों को काम में ला रहे हैं।

-नन्दकिशोर द्विवेदी, जबलपुर।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118