भवन जितना ऊंचा बनाना होता हैं नींव उतनी ही गहरी खोदनी पड़ती है। नींव की गहराई पर ही भवन की ऊंचाई निर्भर है। ध्येय ऊंचा हो और उसे पाना भी हो तो अपना व्यक्तित्व उतना ही गम्भीर और मजबूत बनाना होता है। ऐसे मकानों पर आँधी तूफान और भूकम्प का असर नहीं पड़ता। नींव गहरी होने के कारण वे डगमगाते नहीं।
नींव का कार्य पूरा हो जाने के बाद भवन निर्माण की दिशा और स्वरूप बनता है। इसी प्रकार ज्ञान, चरित्र और व्यक्तित्व बन जाने के बाद ध्येय पूरा करने की यात्रा आरम्भ होती है। इस प्रकार बने हुए भवन पर छोटी-बड़ी चोटें पड़ती रहती हैं और बड़े झकझोरे आते रहते हैं पर कुछ बिगाड़ नहीं पाते। जबकि कमजोर नींव वाले एक ही अन्धड़ से उखड़ कर दूसरे कोने पर जा गिरते हैं। जीवन को जितना महान बनाना है उतने ही मजबूत मनोबल वाली नींव बननी चाहिए।