अब से कोई दो हजार वर्ष पूर्व सिसली में जन्मा आर्किमिडीज अपने समय का अद्वितीय विद्वान और वैज्ञानिक था। उसके प्रतिपादनों और आविष्कारों से उस समय का विज्ञ समुदाय चमत्कृत था। एक दिन सिसली के सेनापति को उससे मिलने की इच्छा हुई सो एक सिपाही भेज कर बुलाया। उस समय आर्किमिडीज रेखागणित का कोई हल निकालने में व्यस्त थे। सो चलने में आनाकानी करने लगे। उस पर सन्देश वाहक सिपाही आग बबूला हो गया और तलवार निकालकर उसका सिर काट दिया। फलतः एक ऐसी ज्योति बुझ गई जैसी कि कभी-कभी ही संसार में उदय होती और चमकाती है।