सनकियों की कमी नहीं

August 1985

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मनुष्य जितना बुद्धिमान विचारशील है उतना ही मूर्ख और सनकी भी है। कहावत है कि दुनिया में अकल का परिणाम डेढ़ हैं। इसमें से एक अपने पास होना समझा जाता है और आधी सारी दुनिया के हिस्से में आई हैं।

कुछ आदमी बुद्धि पर जोर देते और उचित अनुचित का विचार करते हैं। पर कुछ ऐसे हैं जिनकी खोपड़ी में जो सनक उठती है उसी को करते रहते हैं। किसी से सलाह लेने की भी उन्हें आवश्यकता प्रतीत नहीं होती।

जूनागढ़ के नवाब महावत खाँ कुत्ते पालने के शौकीन थे। उन्होंने लगभग ढाई हजार कुत्ते पाल रखे थे। प्रत्येक कुत्ते के लिये नल, बिजली, पंखे से युक्त विशेष कमरे निर्मित किये गये थे। कई नौकर केवल इसी काम के लिए नियुक्त थे। उन्होंने अपनी एक कुतिया का विवाह रचाया जिसमें ढाई लाख मेहमान पधारे थे और करीब सात लाख रुपये खर्च हुए थे।

एंतारियो के एक पुलिस कर्मी जान पावर्स तितली पालने के शौकीन थे। उसने छह हजार से अधिक तितलियाँ पाली थीं। ये तितलियाँ जाली में बन्द रहने की अपेक्षा जान पावर्स के शरीर पर बैठना अधिक पसन्द करती थीं।

कुआलालम्पूर के निवासी ‘पिपमास’ सून मधु मक्खियाँ पालने के शौकीन थे। उसकी मधुमक्खियों ने उसके बाँये हाथ पर छत्ता रख लिया था।

भोजन के शौकीन पटियाला के राजा भोपेन्द्र सिंह के रसोईघर में 142 रसोइये थे। उनमें से 16 केवल ‘एग-करी’ बनाया करते थे।

रोमन सम्राट ‘मैक्सी मख’ शराब पीने और माँस खाने के शौकीन थे। वे प्रतिदिन लगभग 18 किलो माँस और 20 गैलन शराब पीते थे।

सेवाइल के शासन ‘अवादेल मोता दिल’ खोपड़ियों के गुलदस्ते बनाकर उनमें आकर्षक फूल लगवाया करता था। इसके लिये वह अपने शत्रुओं को मारता था उनकी खोपड़ियाँ साफ कराकर उनका उपयोग करता था।

इंग्लैण्ड के प्रख्यात कवि वायरन को खोपड़ियों के पात्रों में मदिरा पीने पिलाने का शौक था।

मुगल बादशाह को “कल्ला मीनार” बनवाने का शौक था। मुगलों की ओर से बैरम खाँ ने जब सिकन्दर शाह की सेनाओं को परास्त किया तो उसके सम्मान में बादशाह ने दस हजार दुश्मनों की खोपड़ियों की कल्लामीनार बनवाई थी।

चीन के नानकिंग नामक स्थान में निवास करने वाली ‘ताई लो’ नामक एक लड़की को खोपड़ियाँ एकत्र करने का इतना शौक था कि उसके पिता की मृत्यु पर उसकी खोपड़ी भी सुरक्षित रख ली थी।

जार्जडन नामक एक व्यक्ति को भयानक चेहरों, खालों व चित्रों को एकत्रित कर अपने कमरे सजाने का शौक था और अपने दरवाजे पर बैठकर जोर-जोर से शोर मचाता था। वह रेडियो बहुत जोर से बजाता था।

‘गार्ड स्टोन’ नामक एक लार्ड अपनी वेशभूषा बड़ी विचित्र बनाये रखता था और अपने सोने के कमरे में भयानक व टूटी-फूटी वस्तुएं भरे रहता था। उसके कमरे में मृत देहें और भयानक चित्र फैले पड़े रहते थे।

जोजर नामक एक पादरी हर दूसरे तीसरे दिन हैट खरीदता और उन्हें कब्रिस्तान में रख आया करता था ताकि मृतकों की प्रेतात्माएं उन्हें पहिनें।

पश्चिम जर्मनी का एक रिक्शा चालक ‘जान म्यूटर’ प्रतिदिन पाँच घण्टे नहाता था।

रोम के बादशाह नीरा की महारानी पपिया गधी के दूध से स्नान किया करती थी। विश्व सुन्दरी ‘क्लियोपेट्रा’ पी गधी के दूध में नहाने की शौकीन थी।

नेपोलियन की पत्नी जोसेफाइन स्ट्राबेरी के फूलों के रस से नहाने की शौकीन थी।

स्पेन की सुन्दरी ‘मेरिया द पाडिल्ल’ शराब से भरे हम्मामों में नहाने की शौकीन थी।

फ्राँस की अद्वितीय सुंदरी ‘मादाम द मैसेनान’ प्रतिदिन दो बार सुगन्धित इत्रों से स्नान किया करती थी।

फिलिपसासूनं लन्दन का एक बैंक कर्मचारी था। यात्रा के लिए एक दिन वह रेलवे स्टेशन पहुँचा, किन्तु दुर्भाग्यवश ट्रेन छुट चुकी थी और वह यात्रा नहीं कर सका। वह तुरन्त स्टेशन मास्टर के पास पहुँचा और अपने लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था करने का आग्रह किया। वहाँ कोई दूसरी ट्रेन उस रोज उपलब्ध नहीं थी, अतः उसके लिए किसी स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था नहीं हो पायी। स्टेशन मास्टर ने उसे किसी दूसरी ट्रेन से यात्रा करने की सलाह दी, पर स्पेशल ट्रेन से यात्रा करने की उस पर तो धुन सवार हो गयी थी। किसी अन्य गाड़ी से सफर करने के लिए वह राजी नहीं हुआ। अन्ततः तीसरे दिन स्पेशल ट्रेन का आदेश हुआ, जिसमें बैठकर उसने अकेले यात्रा की। इस सनक में उसकी सारी सम्पदा लग गई साथ ही बैंक से भी बड़ी धनराशि कर्ज लेनी पड़ी, जिसे वह जीवन भर नहीं चुका सका। अन्ततः बैंक का उसके मकान व जमीन नीलाम कराना पड़ा तथा उसे नौकरी से भी निकाल दिया गया।

कनाडा का एक व्यापारी जो अपने जीवन में एक फिल्म अभिनेता तो नहीं बन सका किन्तु उसने अपनी वसीयत में लिखा था कि मेरी मृत्यु के पश्चात् मेरी सारी सम्पत्ति किसी ऐसे नाटक कार को दी जाय जो प्रति वर्ष शेक्सपीयर का नाटक हेलमेट का प्रदर्शन करे और इस प्रदर्शन में कब्रिस्तान का दृश्य दर्शाने के लिए उसकी निजी खोपड़ी का ही उपयोग किया करे।

एक अमेरिकी जो अपने जीवन में सम्मानित न हो सका अपनी मृत्यु के पूर्व उसने अपनी सम्पत्ति की वसीयत में लिखा कि ‘उसकी मृत्यु के बाद उसकी चमड़ी से ढोल बनाया जाय और जब भी स्वतन्त्रता दिवस आए वाशिंगटन में झंडोत्वोलन के समय उसे बजाया जाय। जो भी व्यक्ति यह कार्य कर सके सरकार उसी को मेरी सारी सम्पत्ति सौंप दे।”

जैरेमी बैंथन नामक व्यक्ति जो अपने जीवन में किसी भी मेडिकल कालेज का सदस्य भी नहीं बन पाया अपनी वसीयत में लिखा था कि- “मेरी मृत्यु के बाद मेरी सारी सम्पत्ति ऐसे मेडिकल कालेज को दे दी जाय जो प्रबन्धक समिति की बैठक में उसकी खोपड़ी को एक ऊंचे आसन पर रख सके।”

समेइल ब्राँट नामक अंग्रेज ने अपनी पत्नी से परेशान होकर अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी सारी सम्पत्ति को तभी उसकी पत्नी को दी जाय जब वह प्रतिदिन 5 सिगरेट पिया करे अन्यथा सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाय।”

काउण्ट लियो जो एक प्रसिद्ध उपन्यासकार था अपनी वसीयत में लिखा था कि मृत्यु के बाद उसके शव के पास उसकी पत्नी को न आने दिया जाय। यह मानने पर ही उसकी सम्पत्ति उसे सौंपी जाय।

स्वेम नामक एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी से परेशान होकर अपनी वसीयत में मात्र 6 पैसे अपनी पत्नी को इसलिए दिया था कि इससे अपने लिए फाँसी की रस्सी खरीद ले।”

न्यूयार्क के एक व्यक्ति ने अपनी वसीयत में लिखा था कि “वह अपनी दुश्चरित्र पत्नी को उसका प्रेमी तथा चोर नौकर को फटे पैन्ट तथा लापरवाह को टूटी कारें छोड़ रहा है तथा सम्पूर्ण धन अपने पुत्र के लिए छोड़कर जा रहा है।”

बेल्जियम के एक व्यक्ति ने अपने परिवार वालों से परेशान होकर अपनी सारी सम्पत्ति अपने प्रिय कुत्ते के नाम ही कर दी क्योंकि संसार में उसने ही उसे सबसे ज्यादा प्यार किया था।

मेक्सिको के एक किसान डब्ल्यू डेपरेन ने अपनी सारी सम्पत्ति अपने खच्चर के नाम कर दिया जिसने उसके 20 एकड़ खेत को उर्वरा बनाने में पूरा सहयोग किया था।

अमेरिका के एक व्यक्ति ने अपनी सारी सम्पत्ति अपने तोते के नाम करके मरा।

अमेरिका की श्रीमती मैक हेनरी ने अपनी सारी सम्पत्ति बिल्ली के ही नाम कर दिया था।

एक महिला ने अपनी सारी सम्पत्ति अपनी पाँच बिल्लियों के नाम बराबर-बराबर बाँट देने की वसीयत लिखी थी।

इटली की एक महिला ने अपनी 2300 पौण्ड की सम्पत्ति अपने कुत्ते के नाम कर दिया था।

लन्दन के फाँकिंस नामक पियक्कड़ ने अपनी वसीयत में लिखा था कि “उसकी सम्पत्ति का एक भाग प्रति वर्ष उसकी जयन्ती पर शराबियों को शराब पिलाने में खर्च किया जाय।”

यूगोस्लाविया के एक शराबी ने अपनी वसीयत में लिखा था कि प्रतिवर्ष वर्षी के समय उसकी कब्र को शराब से धोया जाय और शहर के सभी शराबियों को कब्र में बैठाकर खूब शराब पिलायी जाय।

बर्मा के एक शराबी ने अपनी मृत्यु के पूर्व वसीयत लिखी जिसमें से 1000 पौण्ड प्रति वर्ष उसकी वर्षी के समय शराब में व्यय करने को कहा था।

स्काटलैण्ड के एक व्यापारी ने अपनी दो पुत्रियों के लिए लिखी वसीयत में लिखा था कि उसकी सम्पत्ति का बंटवारा उनकी पुत्रियों में उनके वजन के अनुपात में किया जाय।

एक अमेरिकी धनी ने अपने जीवन में 71 पायजामे बनवाये। मृत्यु के पूर्व उसने अपनी वसीयत में लिखा कि उसके सभी पायजामे एक-एक करके नीलाम कर दिये जांय। नीलाम लेने वालों के आश्चर्य का तब ठिकाना न रहा जब उन सभी पायजामों में एक-एक हजार का बेनामी चैक सिला पाया।

फ्राँस के एक धनी ने अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी सम्पत्ति के ब्याज को सालाना ऐसे व्यक्तियों को पुरस्कार देने में व्यय किया जाय जिनकी आंखें, नाक, बाल तथा कलाई अति सुंदर हो।

दार्शनिक क्रेट्स ने अपनी वसीयत में अपनी सारी सम्पत्ति अपने मित्र को सौंपकर यह सुझाव दिया कि उसके लड़के यदि मूर्ख सिद्ध हों तो यह धनराशि उन्हें दे दें अन्यथा गरीबों की भलाई में लगा दें।

प्राचीन कलात्मक वस्तुओं का संग्रहालय तो सभी ने देखा सुना होगा किन्तु पश्चिम जर्मनी में कुछ अजीबो-गरीब संग्रहालय बनाए गए हैं। उदाहरणार्थ-

खटमल-मक्खी ऐसे घृणित जीव जिनका नाम लेना भी घृणास्पद लगता है। पश्चिम जर्मनी के अस्चेफन वर्ग में 1000 किस्म की प्रजाति के खटमल मक्खी एकत्र कर रखे हैं उनके बढ़ने एवं रहन-सहन की भी ठीक व्यवस्था की गई है।

जर्मनी के मुएन्दे नगर में धूम्रपान के सभी साधन संग्रहित किए गये हैं। एडवर्ड सप्तम के समय की सिगरेट से लेकर आज तक के सिगार व बीड़ी आदि विश्व के समस्त धूम्रपान के साधन एकत्रित हैं। यहाँ पर एक 6 फीट लम्बी सिगार भी है जिसे एक आदमी 1 माह तक पी सकता है।

प. जर्मनी के हेम्वर्ग नगर में आदिकाल से आज तक के सभी मिट्टी, पत्थर, लकड़ी, काँच, प्लास्टिक आदि के बोतल व पात्र संग्रहित हैं। प्राचीन काल में समुद्री जलयानों को सन्देश भेजने वाला बोतल भी है।

जर्मनी के एक स्थान पर प्राचीन काल से आज तक ही रोटियों के नमूनों का संग्रहालय है उसी प्रकार का संग्रहालय काहिरा में भी है जहाँ पर ई. पूर्व से 5000 वर्ष पूर्व की गेहूँ की रोटी सुरक्षित हैं।

प. जर्मनी के आघन बैंक में प्राचीन काल से अब तक के जूतों चप्पलों के नमूनों का भण्डार किया गया है।

प. जर्मनी के फ्रेन्टेन्स्टाड में प्राचीन काल से आज तक के टैक्स प्रपत्र संग्रहित हैं सबसे पुराना टैक्स फार्म 3000 ई. पूर्व का है।

प. जर्मनी की स्टटगर्ट नगर में छातों और टोपियों पगड़ियों के विश्व भर के हजारों नमूने प्राचीन काल से अब तक के संग्रहित हैं। इनमें भारी से भारी व जेब में रखकर चलने वाले छाते तक शामिल हैं।

सम्पन्न और सुशिक्षित बुद्धिमान विचारशील होते हैं यह मानने में कोई तुक नहीं। उनमें भी ढेरों ऐसे होते हैं जो ऊंट-पटांग सोचते और जो मनमर्जी आये सो करते रहते हैं।


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