फ्राँस के महान रसायन शास्त्री वैज्ञानिक लेबोशिये ही थे। उन्होंने आक्सीजन को ज्वलनशीलता और दो गैसों के मिलने से पानी बनने जैसे आविष्कार कर दिखाये थे। साथ ही वे ऐसे अर्थ शास्त्री भी थे। जिनके प्रतिपादनों ने उस देश की अर्थ व्यवस्था सुधारने में भारी योगदान दिये। राज्य क्रान्ति की उथल पुथल वाले दिनों किसी ने झूठी चुगली करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया। मरने के बाद फ्राँस की विद्वत सभा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा- वह सिर जो एक क्षण में ही काट दिया गया वह फिर से इस देश को नसीब हो, इसकी हजारों वर्ष तक प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।