विचित्र संयोग(kahani)

August 1985

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हेम्वर्ग (जर्मनी) के एक चौराहे पर दो कारों की टक्कर हो गई। चालक उतरे और आपस में लड़ पड़े। दोनों को चोट आई। पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया और मुकदमा चला दिया। अस्पताल में उन्हें एक दूसरे का परिचय प्राप्त करने का अवसर मिला तो आश्चर्यजनक संयोग के लिए वे अवाक् रह गये।

ठीक दस साल पहले उसी चौराहे पर उन दोनों की मोटर साइकिलें टकराई थी। मारपीट हुई थी और पुलिस केस बना था।

इससे भी ठीक दस वर्ष पहले उनकी पैर साइकिलें भी इसी चौराहे पर टकराई थी और मार-पीट करके लहू-लुहान होकर घर लौटे थे।

इससे भी मजेदार बात यह है कि जब वे छोटे थे तब एक ही मोहल्ले में रहते थे। खेल के सिलसिले में दौड़ते हुए आमने सामने से आये तो आपस में टकरा गये। गुत्थम-गुत्था होने के बाद अपने घर लौटे।

हर दस साल बाद ठीक ही एक ही स्थान पर एक ही तारीख को एक जैसी टकराने वाली घटनाओं का होते रहना एक विचित्र संयोग ही कहा जायेगा ऐसे संयोगों के पीछे कोई नियति चक्र होता है। क्या यह विचारणीय है?


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