दादी मेरी अमेरिका की एक घोर परिश्रमी महिला का नाम है। वह 18 वर्ष की आयु में विधवा हो गई। पढ़ी लिखी न होने पर भी उसने उत्साह से चित्रकला सीखने की ठानी। साधन न होने पर भी प्रकृति के पेड़ पौधे देखकर वह चित्र बनाने लगी। पहले चित्र तो कुछ पैसे में ही बिके, पर उसने उत्साह ठंडा न होने दिया। अच्छे चित्र बनाने लगी और उनके पैसे भी अच्छे मिलने लगे। उत्साह बढ़ा तो चित्रों का स्तर भी बढ़ने लगा और वे संसारभर में प्रसिद्ध हो गए। चित्रों की बिक्री के धन से उसने महिला कल्याण का एक ट्रस्ट बना दिया। वह 1 वर्ष तक जीती रही। तब तक निरंतर चित्र बनाती रही। कई चित्र उसने बनाए, जो कई लाख रुपए के बिके। उसकी जन्मशताब्दी पर अमेरिका के चार जीवित राष्ट्रपतियों ने शुभकामना भेजी। दादी मेरी के चित्र विश्वविख्यात हैं। सतत परिश्रम से प्राप्त उपलब्धि का यह एक अनोखा उदाहरण है।