मृत्युदंड का भागी (kahani)

August 2003

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सिंधुराज के राज्य में बकमुआर नामक एक भयंकर दस्यु हुआ। उसने युवावस्था के 2 वर्षों में हजारों का कत्ल किया और प्रचुर संपदा लूटी। पकड़े जाने पर उसे मृत्युदंड मिला।

उस समय उसके संबंधी मिलने आए तो उसने अपनी माता से मिलने से इंकार कर दिया। कारण पूछने पर कहा, “बचपन में मैं स्वर्णमुद्रा चुराकर लाया था और वह माता को दी तो उसने मेरी चतुरता को सराहा ही नहीं, प्यार भरा पुरस्कार भी दिया। उस दिन के बाद से बदला जीवन आज इस परिणति रूप में है। उसी माँ के प्रोत्साहन का प्रतिफल है कि मैं इतना नीच बना और मृत्युदंड का भागी हुआ।”


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