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August 2003

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ईसा के परिवार वाले उनसे मिलने गए। वे सत्संग-परामर्श में तल्लीन थे। लोगों ने कहा, घरवालों की ओर ध्यान देंगे क्या? ईसा ने कहा, संसार में मेरा अपना-पराया कोई कुटुँब नहीं है। समस्त संसार को ही मैं अपना परिवार मानता हूँ और अपना हर काम उस विश्व कुटुँब को ध्यान में रखकर करता हूँ। यही आदर्श तुम सब भी अपनाओ।


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