स्नेह का अभ्यास (Kahani)

April 2002

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वनप्रदेश में भयंकर आँधी आने पर वे वृक्ष उखड़ जाते हैं, जो एकाकी खड़े होते है। इसके विपरीत घने उगे हुए पेड़ एक-दूसरे के साथ सटकर रहने के कारण उस दबाव को सहन कर लेते हैं। अंधड़ उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाते।

यह उदाहरण देते हुए भगवान बुद्ध ने कहा, “परस्पर स्नेह की सघनता मनुष्यों को इसी तरह नष्ट होने से बचाती और विकास का अवसर प्रदान करती है। संघारामों में सघन पारिवारिक स्नेह का अभ्यास इसीलिए कराया जाता है।”


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