Quotation

April 2002

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जो उदारतापूर्वक सबके हित की बात सोचता है, वही मनुष्य श्रेय का अधिकारी हो सकता है।

स्वार्थ की भावना से जो सेवा की जाती है, वह परोपकार नहीं प्रवंचना है।


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