परिवार के रूप में विकसित (Kahani)

April 2002

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

तीन पहाड़ थे पास ही पास। उनसे लगा हुआ लंबा गहरा खड्ड था। उसके कारण उस ओर किसी का आवागमन नहीं होने पता था। एक बार देवता उधर से निकले, पहाड़ों से कहा, “इस क्षेत्र का नामकरण करना है। तुम तीनों में से किसी के नाम पर नामकरण किया जाएगा। तुम तीनों अपनी एक-एक इच्छा पूरी करा सकते हो। एक वर्ष बाद जिसका जितना विकास होगा, उस आधार पर नामकरण किया जाएगा।”

पहले पहाड़ ने कहा, “मैं सबसे ऊँचा हो जाऊँ, ताकि सबको दूर से दिखाई दूँ।” दूसरे ने कहा, “मुझे खूब हरा-भरा प्राकृतिक संपदा से भरा-पूरा बना दें, ताकि सब मेरी ओर आकर्षित हों।” तीसरे पहाड़ ने कहा, “मेरी ऊँचाई छीलकर इस खड्ड में समतल बना दें, ताकि यह सारा क्षेत्र उपजाऊ हो जाए और लोग यहाँ सुविधा से आ-जा सकें।” देवता तीनों की व्यवस्था बनाकर चले गए।

एक वर्ष बाद परिणाम देखने देवता पुनः पहुँचे। पहला पहाड़ ऊँचा हो गया था, दूर से दिखता था, पर वहाँ कोई जाता नहीं था। हवा, सरदी, गरमी की मार सबसे अधिक उसे ही सहनी पड़ती थी।

दूसरा पहाड़ प्राकृतिक संपदा से भर गया था, पर बीहड़ इतना था कि किसी के जाने की हिम्मत न पड़ती थी। वन्यपशुओं का आतंक भी उससे खूब बढ़ गया था।

तीसरा पहाड़ खड्ड पाटने से समतल हो गया था। उस सारे क्षेत्र में फसलें उगाई जा रही थी। खड्ड पट जाने से लोग वहाँ जाने लगे, बसने लगे। उपजाऊ भूमि का लाभ सबको मिलने लगा।

देवताओं ने उस क्षेत्र का नाम उसी तीसरे पहाड़ के नाम पर रखा, जिसने अपने निकटवर्ती क्षेत्र को भी उपयोगी बना दिया। लोगों के आने-जाने का मार्ग बना और उपजाऊ भी। इस प्रयास में उसने अपने अस्तित्व को ही दाँव पर लगा दिया। देवताओं ने कहा, “इसी ने इस क्षेत्र को अपना बनाया है। यह क्षेत्र इसी के परिवार के रूप में विकसित हुआ है, इसी के नाम से जाना जाएगा।”


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118