चौदहवीं शताब्दी की बात है। वैज्ञानिक ओडार्नो ब्रसो ने अनेक तर्कों-प्रमाणों से यह सिद्ध कर दिया कि पृथ्वी चटाई की तरह चौरस नहीं है, वरन् गोल है।
पुरातनपंथियों ने बाइबिल के मत को झुठलाने के जुर्म में ओडार्नो ब्रुसी को जिंदा जला देने का मृत्युदंड दिया। उन्मादी उसकी सफाई तक सुनने को तैयार न हुए। उन्होंने प्राण दे दिए, पर अपनी विचारधारा नहीं बदली। अंततः आगे चलकर जनसाधारण को उनकी बात स्वीकार करनी ही पड़ी। अपनी मान्यताओं के प्रति दुराग्रह की ऐसी ही दुःखद परिणतियाँ होती हैं।