एक सूफी कथा है-किसी प्रेमी ने अपनी प्रेयसी के द्वार को खटखटाया। भीतर से पूछा गया, कौन है? प्रेमी ने उत्तर दिया, मैं हूँ। तुम्हारा प्रेमी! प्रत्युत्तर मिला, इस घर में दो को स्थान नहीं है। कुछ दिनों बाद प्रेमी पुनः उसी द्वार पर लौटा। इस बार “कौन है” के उत्तर में उसका जवाब था, “तू ही है” ओर वे बंद द्वार उसके लिए खुल गए। ईश्वर और जीव के संबंध ऐसे ही होते हैं।