विधाएँ तुरंत आरंभ (ज्ञातव्य- अनुरोध)

April 2002

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उत्तरांचल राज्य के महामहिम राज्यपाल के द्वारा विशेष आदेश द्वारा विश्वविद्यालय निर्माण की घोषणा के साथ ही अब एक महती जिम्मेदारी भरा कार्य आ गया है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय मूलतः कर्मठ-प्राणवान कार्यकर्त्ताओं के निर्माण का, देवमानवों के सुनियोजित प्रशिक्षण का कार्य करने जा रहा है। परंपरागत कोर्स इसमें नहीं होंगे, परंतु जो कोर्स प्रारंभ होने जा रहे हैं, उनके पाठ्यक्रम शीघ्रातिशीघ्र लिखे जाने हैं। इन्हीं सब उद्देश्यों को दृष्टिगत रख स्वायत्तशासी, पूर्णतः परिजनों के अंशदान पर निर्भर इस अद्वितीय विश्वविद्यालय पर एक विशेषांक जून, 22 के अखण्ड ज्योति अंक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। परिजनों को वह पुस्तकाकार में भी मिल सकेगा। सभी से उसको पढ़कर फीडबैक भेजने का अनुरोध किया जा रहा है, ताकि इसका सुव्यवस्थित संचालन आरंभ किया जा सके। जुलाई तक फीडबैक मिलने पर कुछ विधाएँ तुरंत आरंभ हो सकेंगी।

कुलाधिपति, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शान्तिकुञ्ज हरिद्वार (उत्तरांचल)


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