प्रस्तुत सावधानियाँ (kahani)

May 2001

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प्रस्तुत सावधानियाँ आपदा प्रबंधन की उच्चस्तरीय समिति (एच. पी.सी.) द्वारा निर्धारित की गई हैं। इन्हें अप्रैल-मई 21 में प्रत्येक जिले में किया जाना प्रस्तावित था। इस समिति का शांतिकुंज भी एक प्रमुख सदस्य है। इस नाते अब न सही मई-जून में भी इन पूर्वाभ्यासों को कर लिया जाए, तो तैयारी अच्छी हो सकती है। परिजनों को लग सकता है कि ये कार्य तो अधिकांश अधिकारीगणों से जुड़े हुए है, पर बिना संकोच के जिला व राज्य स्तर के अधिकारियों से इस संबंध में जाकर चर्चा की जा सकती है, अपना सहयोग भरा हाथ बढ़ाया जा सकता है।

(3) एक जिम्मेदार व्यक्ति प्रत्येक गतिविधि का निर्धारित हो जाए। साथ ही हर विभाग व उसकी कार्यपरिधि भी सुनिश्चित हो जाए। कोई जरूरी नहीं कि यह जानकारी सबको दी जाए, पर संबंधित व्यक्ति या अधिकारी को तथा विभाग को सुधार हेतु बताया जा सकता है।

(4) सुनियोजित पदयात्राएँ, बैनर्स सहित प्रथम स्तर पर बनाई सावधानियों को चिह्नित करती हुई निकाली जाएँ।

राज्यस्तरीय पूर्वाभ्यास

प्रथम स्तर (एल एक्सरसाइज)

(1) आपदा न आएँ, ऐसे उपायों तथा आधारभूत व्यवस्था तंत्र को सभी विभागों एवं मंत्रीगणों द्वारा स्वैच्छिक आशाओं के सहयोग से पुनरीक्षित कर लिया जाए। यथा जिला वार तथा राज्य मुख्यालय पर बचाव एवं बहुत से जुड़े उपकरणों की सूची।

(ब) यदि अनुपलब्धता तो राज्य द्वारा केंद्रीय शासन से उन्हें उपलब्ध कराने पर अनिवार्यता वाली कार्यवाही।

(स) संचार प्रणाली नीचे गाँव स्तर तक भी एवं ऊपर केंद्र तक की भी पुनः ली जाए।

(द) प्रशिक्षित व्यक्तियों की जो रिस्क्यू, सिर्फ में प्रयुक्त होते रहे हैं या हो सकते हैं, सूची राज्य कमिश्नर तक पहुँचे। ऐसे लोगों को चिह्नित कर सूचना पर तैयार रहने को कहा जाए।

(2) चारा एवं अन्न आदि के अंतर्जिला स्तर पर जाने संबंधी प्रक्रिया को जिला मजिस्ट्रेटों के माध्यम से सुविधाजनक बनाना।

(3) चिकित्सीय उपकरणों-औषधियों के बल्क हेतु स्थान देख लिए जाएं एवं हर जिले में चौबीस घुले रहने वाले केमिस्टों की सूची तैयार हो।

(4) ‘बिल्डिंग कोड’ का सुव्यवस्थित ढंग से परिपालन क्या है कि नहीं, यह सुनिश्चित कर लिया जाए।

(5) हमारे भवन सुरक्षित हों, विशेष रूप से क्षेत्रों में, इसके लिए ‘रेट्रोफिटिंग क्लीनिक’ यत्किंचित् फेरबदल से उन्हें भूकंपरोधी बनाना) योजित किए जाएं।

(6) राज्य में ऊँची अट्टालिकाओं में आग लगने से सावधानियों का पुनर्निरीक्षण करा लिया जाए।

तीसरा स्तर (एल-1 एक्सरसाइज)

(1) राज्य का संचार तंत्र पूरी तरह जाँच लिया जाये अनुभवों को देखते हुए विभिन्न लालफीताशाही से जुड़े उपक्रमों का कार्य किया जाए।

(2) स्तर पर सोची गई सभी सावधानियों एल 1 स्तर पर राज्य के अधिकारीगण समझ लें एवं तदनुसार एक निर्देशक बना लें।

(3) केंद्रीय रिलीफ कमिश्नर तक ये सारी जानकारियाँ यथाशीघ्र पहुँच जाएं।

राष्ट्रस्तरीय पूर्वाभ्यास

प्रथम स्तर (एल एक्सरसाइज)

(1) एच. पी. सी. (उच्चस्तरीय समिति) द्वारा निर्देशित आपदाओं हेतु मानक तैयारियों की एक सुव्यवस्थित क्रियापद्धति हर विभाग बना लें।

(2) यह मानक क्रियापद्धति (स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर) राज्य स्तर पर विभागों में पहुंचा दी जायेगी राज्यों के अधिकारियों की टिप्पणियों को वहाँ की परिस्थितियों को देखते हुए मंगा लिया जाए।

(3) हर विभाग अपनी संचार प्रणाली तुरंत जानकारी पहुँचने के तंत्र को सुव्यवस्थित बना लें।

(4) बड़े स्तर पर बचाव व राहत में काम आने वाले उपकरणों (यथा जे. से. बी. डोजर्स, कटिंग उपकरण, उड़ान से पहुँचने सकने वाले अस्थाई अस्पताल) की स्थिति व उपलब्धता को सुनिश्चित कर लिया जाए।

(5) विशेषज्ञों के दल को सूचीबद्ध कर हर विभाग अपने पास उसे रखे एवं उन्हें पहले से संभावित आपदा क्षेत्र निर्देश दिए जाएं।

(6) चिह्नित बचाव राहत स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण हो।

द्वितीय स्तर (एल 1 एक्सरसाइज)

(1) हर विभाग अपने से संबंधित राज्य विभागों के संपर्क में रहे एवं प्रत्येक विभाग के ही अधिकारियों के नाम, टेलीफोन, नंबर, पते आदि नोट कर लिए जाएँ।

(2) यही प्रक्रिया उन विशिष्ट व्यक्तियों पर हो, जो आपदा प्रबंधन में विशेषज्ञ रखते हैं।

(3) हर विभाग राष्ट्र स्तर पर यह प्रयोग कर ले आपदा की स्थिति में संबंधित राज्य के विभाग से सहायता सुनिश्चित समय में पहुँचाया है।

यही सारी व्यवस्थाएं इस बात पर सोची कहीं हम सोते हुए न पकड़े जाएं। हरीकेन 1999 तथा गुजरात के भूकंप। 21 सभी को सचेत कर दिया है। यह कार्य मात्र स्पष्ट का नहीं है, यह सभी ने देख लिया है। और स्वैच्छिक संगठन एवं सर्स्कष तैयारियों को समय रहते कर ले की तरह अधिकारियों को भी संपर्क करते रहें तो भावी आपदा में से निकाला जा सकेगा।


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