VigyapanSuchana

May 2000

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विशेष सतर्कता बरतें

परमपूज्य गुरुदेव ने महापूर्णाहुति को विभूति यज्ञ-क्षेत्रीय दीपयज्ञों के सृजन-संगठन समारोहों के रूप में ही करने का निर्देश दिया है। कुछ स्वार्थी तत्व पूज्यवर के अनंतासन का उल्लंघन कर महापूर्णाहुति के नाम से सार्वजनिक चंदा करके अश्वमेध स्तर के यज्ञों के लिए भावनाशीलों को भ्रमित कर रहे हैं। यदि कहीं कोई ऐसी चर्चा होती दिखे या परिपत्र जानकारी में आए तो केन्द्र से परामर्श लें। सक्रिय परिजनों के समर्थ समय व साधनदान से ही क्षेत्रीय कार्यक्रम संपन्न होंगे। किसी भी परिजन को इस संबंध में भ्रम में न पड़कर स्वयं सतर्क रहना, औरों को भी जागरुक बनाए रखना है।


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