एक बार ब्रह्म सरोवर ने शिकायत की-”भगवन् आप भगवती गंगा की इतनी सराहना करते हैं, हम भी तो लोगों को शीतलता और सद्गति प्रदान करते हैं, वह पुण्य हमें क्यों नहीं मिलता ?” भगवान विष्णु ने गंभीर होकर उत्तर दिया-”भगवती गंगा स्थान-स्थान, घर-घर में जाकर लोगों की प्यास बुझाती और सद्गति प्रदान करती हैं, जबकि आप तो केवल उन्हें देते हैं जो आपके पास आते हैं।”
ब्रह्म-सरोवर ने अनुभव किया भगवती गंगा सचमुच महान् हैं। उन्हें अपने भीतर कभी-कभी विकार पैदा होने का कारण भी ज्ञात हो गया है।
एक गीदड़ एक दिन गड्ढे में गिर गया। बहुत उछलकूद की, किंतु बाहर न निकल सका। अंत में हताश होकर सोचने लगा कि अब इसी गड्ढे में मेरा अंत हो जाना है। तभी एक बकरी को मिमियाते सुना। तत्काल ही गीदड़ की कुटिलता जाग उठी। वह बकरी से बोला-बहिन बकरी । यहाँ अंदर खूब हरी-हरी घास और मीठा-मीठा पानी है। आओ जी भरकर खाओ और पानी पियो। बकरी उसकी लुभावनी बातों में आकर गड्ढे में कूद गई।
चालाक गीदड़ बकरी की पीठ पर चढ़कर गड्ढे से बाहर कूद गया और हंसकर बोला-तुम बड़ी बेवकूफ हो, जो मेरी जगह करने गड्ढे में आ गई हो। बकरी बड़े सरल भाव से बोली-गीदड़ भाई, मेरी उपयोगितावश कोई न कोई मुझे निकाल ही लेगा, किंतु तुम अपने ही दुर्गुणों के कारण विनाश-बीज बो लोगे।
थोड़ी देर में मालिक ढूँढ़ता हुआ बकरी को निकाल ले गया। रास्ते में जा रही बकरी ने देखा, वहीं गीदड़ किसी के तीर से घायल हुआ झाड़ी में कराह रहा है।