रहस्यों के जाल से घिरी झील

May 2000

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इस दुनिया में रहस्य बुद्धि के सापेक्ष हैं। तीक्ष्ण और विकसित बुद्धि वालों के लिए रहस्य तद्नुरूप उच्चस्तरीय होते हैं, जबकि निम्न, मंद और अविकसित मेधा वालों को छोटी से छोटी चीज भी रहस्यमय जान पड़ती है। एक वनवासी के लिए विज्ञान का साधारण सा यंत्र भी आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन वही किसी विज्ञानवेत्ता को सामान्य प्रतीत होगा। एक निपट देहाती के लिए चाँद की धरती, वहाँ का वातावरण, 14 दिवसीय दिन-रात की जानकारी-यह सब अद्भुत हैं, किंतु विज्ञान के विद्यार्थी को इसमें कोई अचंभा नहीं होता,कारण कि उसकी बुद्धि अपेक्षाकृत विकसित है, वह इसे भलीभाँति जानता है कि यह सब कैसे संभव हुआ।

कई बार कुछ ऐसे प्रसंग सामने आ जाते हैं, जो विज्ञान विशारदों के भी मस्तिष्क को चकराकर रख देते हैं। ऐसी ही एक झील दक्षिण अफ्रीका स्थित पैण्डूजी हैं। उत्तरी ट्राँसवाल प्राँत में पाई जाने वाली इस झील के संबंध में यों तो अनेक प्रकार की किंवदंतियाँ हैं, पर यह सच हैं कि इसके पानी को पीने वाला आज तक कोई जिंदा नहीं रहा। इसका यह मतलब नहीं कि यहाँ का जल प्रदूषित है। यथार्थ तो यह है कि मुटाली नामक जिस नदी का प्रवाह इसमें आता है,वह एकदम स्वच्छ है। फिर इसमें कौन सा ऐसा तत्व है, जो प्राणघातक है? इसे जानने के लिए समय-समय पर कई प्रयास हुए हैं, पर कोई सफल नहीं हो सके। हर कोशिश के साथ कोई न कोई दुर्घटना घट जाती । आरंभ में इसे मात्र संयोग कहकर टाल दिया जाता,किंतु जब प्रत्येक अन्वेषक के साथ इस प्रकार के प्रसंग सामने आने लगे, तो जाँचकर्त्ता सतर्क हो गए और झील से किसी भी तरह की छेड़खानी करने से कतराने लगे।

अंतिम घटना सन् 1946 की है, जो एंडी लेविन नामक एक दुस्साहसी रसायनवेत्ता से संबंधित है। उसके मस्तिष्क में यह सनक सवार हो गई कि वह उसके जल का रासायनिक विश्लेषण कर रहस्य का अनावरण करेगा। मित्रों और संबंधियों को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने लेविन को ऐसा करने से रोकने के लिए हर तरह से समझाया, पर वह नम माना। अपने एक सहयोगी को साथ लेकर चल पड़ा। इस कार्य में सहायता लेने के उद्देश्य से उसने स्थानीय कबीले के लोगों से संपर्क साधा, किंतु पैंडुजी झाल का नाम सुनते ही उन्होंने किसी भी प्रकार की मदद करने से इनकार कर दिया। यहाँ तक कि झील तक मार्गदर्शन करने के लिए भी वे तैयार न हुए, तब लेविन और उसके मित्र अकेले ही उस ओर बढ़ गए। कबीले के वयोवृद्ध मुखिया ने ऐसा करने से मना किया, पर उन पर इसका कोई प्रभाव न पड़ा।

जब वे वहाँ पहुँचे, तब तक रात हो चुकी थी। दोनों ने मिलकर वहीं एक पेड़ के नीचे रात्रि गुजारी। प्रातः होते ही वे उठे और साथ लाई बोतलों में जल भरने लगे। पानी कुछ गहरे मटमैले रंग का था। लेविन ने उसकी एक बूँद जीभ पर डाली, तो उसका स्वाद कुछ विचित्र जान पड़ा। पानी का नमूना इकट्ठा कर लेने के बाद उन्होंने झील के आसपास के कुछ पौधों और झाड़ियों को भी एकत्र किया और उन्हें साथ ले जाने के लिए सुरक्षित रख लिया।

वापस लौटते समय उनके साथ अजीबोगरीब घटनाएँ घटती रहीं। उन्हें उत्तर से पूरब की ओर वाले उस मार्ग पर बढ़ना था, जिससे वे आए थे, पर वे चल पड़े पश्चिम के रास्ते पर। आधे से अधिक रास्ता पार कर लेने के उपराँत उन्हें महसूस हुआ कि वे गलत दिशा में बढ़ रहे हैं। लौटकर पुनः झील तक आए और वहाँ से पूरब की ओर बढ़े।

अब तक रात घिर आई थी, अतः वे एक स्थान पर रुक गए। सवेरा हुआ, तो पुनः प्रस्थान किया। कुछ दूर आगे जाने पर फिर लगने लगा कि वे गलत मार्ग पर जा रहे हैं । एक बार पुनः दोनों वापस लौटे। इस बार अधिक सतर्कता बरतते हुए सावधानीपूर्वक पूरब के मार्ग पर बढ़े, किंतु नतीजा वही निकला, जिसका डर था । वे फिर भटक गए। अबकी बार खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे। पानी से भरी बोतलें झील में डाली, पौधों को वहीं फेंका और सजग रहते हुए बढ़ चले । इस बार वे सफल हुए और सुरक्षित घर पहुँच गए। अब तक लेविन की तबियत काफी बिगड़ चुकी थी। अस्पताल में एक सप्ताह बाद उसकी मृत्यु हो गई। उसका मित्र एक कार दुर्घटना में मारा गया। झील से संबंधित यह तेरहवीं घटना थी। इसी तरह अन्यों में भी सकुशल कोई नहीं बचा।

रहस्य और बौद्धिकता का परस्पर गहन संबंध है, पर यह अनेक संबंध स्थूल जगत तक ही सीमाबद्ध है। सूक्ष्म रहस्यों के अनावरण के लिए ऋतम्भरा-प्रज्ञा स्तर की मेधा चाहिए। इससे कम में न तो इन्हें समझा जा सकता है, न जाना।


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